Gold Rule: घर पर केवल इतना ही रख सकते हैं सोना, लिमिट से ज्यादा रखने पर देना होगा हिसाब ! Gold Storage Limit: सोने को न केवल आर्थिक संपत्ति के रूप में, बल्कि शुभ और निवेश के एक माध्यम के रूप में भी देखा जाता है। अधिकतम सोने(Gold Storage Limit) की राशि की अनुमति और टैक्स संबंधी नियमों को जानना महत्वपूर्ण है। बहुत से लोग अपनी आने वाली समय की निवेश संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सोना खरीदते हैं, जैसे कि अपने बच्चों की शादी के लिए। क्योंकि गोल्ड एक सुरक्षित और प्रतिष्ठित निवेश का प्रतीक है, इसलिए उसकी बढ़ती मांग ने इसे वित्तीय निवेश के रूप में भी महत्वपूर्ण बना दिया है।
Gold Storage Limit: सोना (Gold) भारतीयों के लिए एक प्रमुख पसंदीदा है। शादी में लोग अक्सर गिफ्ट के रूप में गोल्ड पसंद करते हैं, और कई लोग सोने में निवेश करते हैं। महिलाओं को भी सोने के आभूषण पहनना अच्छा लगता है। इससे न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि यह निवेश के रूप में भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
शादी के लिए सोना खरीदना आम बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिकतम सोना रखने पर आपको हिसाब देना पड़ सकता है? बहुत से लोग इस बारे में अनजान होते हैं और पहले से ही सोना खरीदकर घर में रखना शुरू कर देते हैं।
गोल्ड में निवेश करना काफी अच्छा ऑप्शन है, पर घर में इसे तय लिमिट के तहत रखना बहुत आवश्यक है। अगर लिमिट से ज्यादा सोना रखते हैं, तो हमें इनकम विभाग को इसका हिसाब देना होगा।
कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए हमें सोने रखने की सही मात्रा जानना आवश्यक है। आज हम आपको बताएंगे कि आप घर में कितना सोना रख सकते हैं। भारतीय कानून के अनुसार, आपके पास जेवरात की निर्मिति में केवल 500 ग्राम तक का सोना हो सकता है बिना किसी विशेष इजाजत के। इससे अधिक सोना रखने पर कानूनी प्रक्रिया के खतरे हो सकते हैं।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के नियमों के अनुसार इनकम और छूट पाने के लिए रेवेन्यू के सोर्सेज (एग्रीकल्चर इनकम, विरासत में मिला पैसा, लिमिट तक सोने की खरीद) पर कोई टैक्स नहीं लगाता है। अगर घर में सोना तय लिमिट के तहत है तो इनकम टैक्स ऑफिशियल तलाशी के दौरान घर से गोल्ड ज्वेलरी नहीं ले जा सकता है। यह सोना अकाउंट और गोल्ड ज्वेलरी आदि शामिल होता है जिसे व्यक्ति वित्तीय निवेश के रूप में रखता है। इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति के पास इस सीमा के अलावा सोना होता है तो उसे इसके लिए कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
कितना सोना रख सकते हैं:
1. अविवाहित महिला: 250 ग्राम तक का सोना रख सकती है।
2. अविवाहित पुरुष: केवल 100 ग्राम गोल्ड ही रख सकता है।
3. विवाहित महिला: 500 ग्राम तक सोना रख सकती है।
4. शादीशुदा पुरुष/आदमी: घर में सोना रखने की लिमिट 100 ग्राम है।
सोने पर कर नियम(Tax on gold):
Tax on gold: आजकल, हम फिजिकल गोल्ड के साथ ही डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) भी खरीद सकते हैं। ऐसे में, सोने को रखने के लिए निर्धारित लिमिट और कर नियमों को समझना महत्वपूर्ण होता है।
फिजिकल गोल्ड को लेकर क्या हैं टैक्स नियम?(Physical gold rule)
Physical gold rule: सीबीडीटी के सर्कुलर के अनुसार, अविवाहित पुरुष या शादीशुदा पुरुष केवल 100 ग्राम फिजिकल गोल्ड रख सकते हैं। वहीं, अविवाहित महिला 250 ग्राम और शादीशुदा महिला 500 ग्राम फिजिकल फॉर्म में सोना रख सकती है। यह नियम सोने के विभिन्न प्रकारों को गृह में संचित करने के लिए लागू होता है। सीबीडीटी की तरफ से यह प्रतिबंध वित्तीय स्थिति की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया जाता है। इससे अधिक सोना रखने पर निर्धारित कार्रवाई की जा सकती है।
जब भी कोई व्यक्ति सोना खरीदता है और इसे 3 साल के भीतर बेच देता है, तो सरकार उस पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Short-Term Capital Gain Tax) लगाती है। इसका मकसद होता है कि शॉर्ट-टर्म निवेशों को प्रोत्साहित किया जाए। वहीं, 3 साल के बाद सोना बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Long-Term Capital Gain Tax) देना होता है, जो निवेशकों को धीरे-धीरे निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
डिजिटल गोल्ड पर टैक्स नियम(Digital gold rule):
Digital gold rule: फिजिकल गोल्ड की तुलना में, डिजिटल गोल्ड में ज्यादा रिटर्न मिलता है। इसके अलावा, डिजिटल गोल्ड खरीदने पर कोई लिमिट नहीं होती है। निवेशक चाहे तो एक दिन में 2 लाख रुपये तक डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। वहीं, डिजिटल गोल्ड पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है, लेकिन 20 फीसदी की दर से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
वर्तमान स्थिति में, कई व्यक्तियों का चयन सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के लिए होता है, जो एक सोने का निवेश योजना है। इसमें एक वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम के बराबर सोने में निवेश किया जा सकता है, जिसकी वार्षिक ब्याज दर 2.5 प्रतिशत है। ब्याज पर कर लागू होता है, लेकिन 8 वर्षों के बाद एसजीबी को कर मुक्त किया जाता है, और इस पर जीएसटी नहीं होती है।
म्यूच्यूअल फंड्स और गोल्ड ETFs को 3 वर्षों से अधिक रखने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कर लगता है।
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